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Posts Tagged ‘pain oflove’

“बहाने से ही आ ”

 

 

 

 

 

 

“बहाने से ही आ ”

मेरी मोह्हब्ब्त का सिला मुझको मिले कुछ ऐसे ,

तुझे पाने की तम्मना मैं जीना दुशवार हो जाए ,

आज तू मुझे खाक मे मिलाने के बहाने से ही आ .

तेरी यादों का पहरा मेरी धड़कन पे अब ना रहे ,

मेरे हाथों से तेरा दामन भी कुछ छुट जाए ऐसे ,

आज तू मुझपे इतने सितम ढाने के बहाने से ही आ .

इन निगाहों के सिसकते इंतजार बिखर जायें कुछ ऐसे ,

की मेरी आंखों की नमी भी छीन जाए मुझसे ,

आज तू मुझे यूं बेइन्तहा रुलाने के बहाने से ही आ .

ये दिल एक पल मे टूट के बिखर जाए कुछ इस तरह ,

की मेरी हर एक आरजू और उम्मीद का जनाजा निकले,

आज तू मुझे इस कदर ठुकराने के बहाने से ही आ

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“प्यार बेपनाह “

ज़िंदगी भर गुनाह करते रहे
हम जो उनसे निबाह करते रहेबेवफाई की चोट खाई थी
जिन्दिगी को तबाह करते रहेकौन था रास्ता जो दिखलाता
हम अंधेरों में राह करते रहे

तुमको दुल्हन बना के ख्वाबों में
रोज़ तुमसे निकाह करते रहे

जानी मालूम है की हम तुमसे
प्यार थे बेपनाह करते रहे

 

 

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“तुम्हें पा रहा हूँ”


तुम्हें खो रहा हूँ तुम्हें पा रहा हूँ,
लगातार ख़ुद को मैं समझा रहा हूँ….

ना जाने अचानक कहाँ मिल गयीं तुम,
मैं दिन रात तुमको हे दोहरा रहा हूँ……..

शमा बन के तुम सामने जल रही हो,
मैं परवाना हूँ और जला जा रहा हूँ ….
तुम्हारी जुदाई का ग़म पी रहा हूँ,
युगों से मैं यूँ ही चला जा रहा हूँ…

अभी तो भटकती ही राहों में उलझा,
नहीं जानता मैं कहाँ जा रहा हूँ….

नज़र में मेरे बस तुम्हारा है चेहरा,
नज़र से नज़र में समां जा रहा हूँ……

बेकली बढ़ गयी है सुकून खो गया है,
तुझे याद कर मैं तड़प जा रहा हूँ……….

कहाँ हो छुपी अब तो आ जाओ ना तुम,
मैं आवाज़ देता चला जा रह हूँ ……..

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आज


जैसे कुछ दिल बदल गया हो आज,
यार ख़ुद से बहल गया हो आज,
तुम अगर सुन नही रहे हो बात,
मेरा दिल क्यूँ मचल गया हो आज ?
क्या पता खत लिख नही पाता,
या नई चाल चल गया हो आज,
क्यूँ ये मौसम भी खुशगवार नही,
हवा का रुख बदल गया हो आज !
एक नशा था उतर नही पाता,
तेरे रुख से संभल गया हो आज,
क्यूँ ये मुझ से ही हो नहीं पाता,
कोई दिल से निकल गया हो आज !

तुम को चाहा है तुम से प्यार किया,
प्यार सदियों का मिल गया हो आज,
मालिकुल्मौत आए गर दानी,
मौत का वक्त टल गया हो आज !

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“कैसे करूं”

 

 

 

 

 

 

 

 

“कैसे करूं”

शब्दों मे बयान कैसे करूं , दर्दे दिल का कैसे नीबाह करूं ,

जो अश्क का दरिया जम सा गया , आंखों से उसका कैसे बहा करूं ?????????

ना सुकून मिले , ना चैन कहीं , ना दिन हो मेरा ना रैन कहीं ,

अब दिल को क्या समझाऊं मैं , पल पल की बेचनी कहाँ रफा करूं ?????????

सब बिखर गया . सब उजड़ गया , कुछ भी तो मेरे पास नही ,

दिल जल कर ऐसा ख़ाक हुआ , अब क्या लाऊं और क्या तबाह करूं ????????????

तेरी बातों पे तेरे वादों पे बंद आँखों से मैंने क्यों इतना किया यकीन,

तुझे चाहने से भी ज्यादा बढा लगे , अब और ऐसा मैं क्या गुनाह करूं ?????????


 

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मैं”

कलमों के टूटे ढेर थे मैं छेड़ता रहा,
लफ्जों के हेर फेर ने समझा नहीं मुझे….
कच्ची थी सोंधी ख़ाक में मैं बोलता रहा ,
चाकों के एतबार ने चूप्का किया मुझे…
लौहएमकान का का राज़ था क्यों फाश हो गया ,
कुत्बों के इन्तखाब ने रुसवा किया मुझे … ..
खारे -चमन था लेकिन चुप चाप जी गया ,
कलियों की बेकली ने तड़पा दिया मुझे ….

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“तुम ने

“तुम ने मुझे अपनाया है”
” और”
मेरी कायनात को ………….
मेरी खुशी को गम को,
“और”
मेरी हयात को…….
अब तो खुशी से,
जीना भी आसान हो गया ….
“तुम ने”

जो अपना हाथ दिया मेरे हाथ को “………

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“बातें “

तुम से कहनी हज़ार हैं बातें,
लफ्ज़ कुछ, मगर बेशुमार हैं बातें…
तुम जिगर में उतरती जाती हो,
जो लिखी हमने अश्कबार हैं बातें…
अब दूर तुमसे रहा भी नहीं जाता,
फिर वो ही पहलू -ऐ -यार हैं बातें…
राज-ऐ-दिल लिए भटकते हैं तुम बिन,
क्या करें इस कदर बेकरार हैं बातें…

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“कर के “

“कर के”

 

तुमने तसल्ली पा ली थोडी देर बात कर के,
मेरी तिशनगी बढा दी, ये ज़रा सा साथ कर के ……..
कभी वह भी दिन आए, तेरे सामने मैं बैठूं,
यूँ ही साथ साथ चलते यूँ, सारी बात कर के ………
हुआ इस कदर नसीब वाला, तेरी अंजुमन में आ के,
मेरे दर्द-ऐ-दास्ताँ को, जगह दी उन्हें अपने हाथ कर के…

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“क्षनीकाएं”

 

“तेरा प्यार”

“एक दर्द ,

एक वेदना ,

एक कसक , तड़प ,

और बेशुमार आंसू ”

 

 

“तेरी याद”

” वो लम्हे ,

वो गुजरे पल ,

वो अधूरा स्पर्श,

और एक अंतहीन इंतजार ”

 


“तेरा साथ”

ये धुंधला साया ,

ये काली परछाई,

लम्बी तनहाई,

और एक अधूरी आस “

 

 


 

“तेरी वफा “

“वो झूठे वादे ,

वो टूटती कस्मे ,

वो बेवजह इल्जाम ,

और मेरा अँधा विश्वास ”


‘तेरा वजूद”

“मेरी बोजिल आहें,

मेरी तड़पती बाहें,

मेरी बिख्लती ऑंखें,

और मेरी डूबती सांसें”

 

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