Feeds:
Posts
Comments

Posts Tagged ‘sad song’

“बिलखता दर्दाना”

हर स्वप्न एक बिलखता दर्दाना हुआ,
वक्त के छलावे से अपना याराना हुआ..
रूह सिसकती रही, जख्म मूक दर्शक ,
साँस लिए भी जैसे एक जमाना हुआ…
खूने- दिल से लिखा, अश्कों ने मिटा डाला,
तुझे भुलाने का क्या खूब बहाना हुआ….
पीडा मे नहा, ओढ़ कफ़न भटकती चाहतों का,
जिंदा जी जैसे ख़ुद को ही दफनाना हुआ…

Read Full Post »

“दिले-नामा-ए-बय”

 
इस दिल का दोगे साथ, कहाँ तक, ये तय करो !
फिर इसके बाद दर्ज, दिले-नामा-ए-बय करो !!

(दिले-नामा-ए-बय = दिल का विक्रय पत्र )
(सेल डीड ऑफ हार्ट)


Read Full Post »

“दर्द हूँ मैं “

 

अश्कों से नहाया,
लहू से श्रृंगार हुआ,
सांसों की देहलीज पर कदम रख,
धडकनों से व्योव्हार हुआ,
लबों की कम्पन से बयाँ..
जख्म की शक्ल मे जवान हुआ..
कभी जिस्म पे उकेरा गया,
सीने मे घुटन की पहचान हुआ,
रगों मे बसा,
लम्हा लम्हा साथ चला,
कराहों के स्वर से विस्तार हुआ,
हाँ, दर्द हूँ मै , पीडा हूँ मै…
मेरे वजूद से इंसान कितना लाचार हुआ….

Read Full Post »

“भ्रम”


कल्पना की सतह पर आकर थमा,
अनजान सा किसका चेहरा है…..
शब्जाल से बुनकर बेजुबान सा नाम,
क्यूँ लबों पे आकर ठहरा है….
एहसास के अंगारे फ़िर जलने लगे,
उदासी की चांदनी ने किया घुप अँधेरा है….
क्षतिज के पार तक नज़र दौड़ आई,
किसके आभास का छाया कोहरा है……
वक्त की देहलीज पर आस गली,
कितना बेहरम दर्द का पहरा है…..
साँस थम थम कर चीत्कार कर रही,
कोई नही.. कोई नही ..ये भ्रम बस तेरा है…..

Read Full Post »

“जिन्दगी”

जीने का फकत एक बहाना तलाश करती ये जिन्दगी,

अनचाही किसकी बातें बेशुमार करती ये जिन्दगी…

कोई नही फ़िर किसे कल्पना मे आकर देकर,
यहाँ वहां आहटों मे साकार करती ये जिन्दगी…

इक लम्हा सिर्फ़ प्यार का जीने की बेताबी बढा,
खामोशी से एक स्पर्श का इंतजार करती ये जिन्दगी..

ना एहतियात, ना हया, ना फ़िक्र किसी जमाने की,
बेबाक हो अपना इजहार-ऐ-दर्द करती ये जिन्दगी…

रिश्तों के उलझे सिरों का कोई छोर नही लेकिन,
हर बेडीयों को तोड़ने का करार करती ये जिन्दगी…

बंजर से नयन, निर्जन ये तन, अवसादित मन,
उफ़! इस बेहाली से हर लम्हा तकरार करती ये जिन्दगी….

Read Full Post »

‘तेरा आना और लौट जाना’

 

दो लफ्जों मे वो तेरा मुझे चाहना ,
गुजरते लम्हों मे मुझे ही दोहराना…
आँखों के कोरों मे दबा छुपा के जो रखे,
उन अश्कों मे अपनी पलकों को भिगो जाना…
रूह का एहसास था या सपने का भ्रम कोई ,
नीदों मे मुझे चुपके से अधरों से छु जाना…
सच के धरातल का मौन टुटा तो समझा…
शून्य था तेरा आना “और”
एक सवाल यूँ ही लौट जाना…

Read Full Post »

“इरादा”


यूँ खफा हो के, मुहं मोड़ के जीने से अच्छा है…,
आ एक दुसरे को छोड़ के जाने का इरादा कर लें,
मासूम से इस दिल को सताने का इरादा कर लें…
आज कसमों और वादों का भ्रम तोड़ दें हम,
दिल की तमन्ना को रुलाने का इरादा कर लें…
जज्बात का तूफान है, पल मे गुजर जाएगा,
अश्कों की तपिश मे रूह जलाने का इरादा कर लें….
मीलों का फासला था, मगर दिल से करीब थे ,
चाहत के सिलसिले को भुलाने का इरादा कर लें…
हर हंसी याद, ख्यालात को टुकडों मे बहा कर,
दिल-ऐ-बर्बादी का जश्न मनाने का इरादा कर लें…
एहसास से एक दूजे के साये की परत पोंच के हम ,
ख़ुद अपने वजूद को दफनाने का इरादा कर लें…

Read Full Post »

“मंजिल”

मंजिल

मंजिल नहीं थी कोई मगर गामज़न हुए
ख़ुद राह चुन के तेरी तमन्ना लिए हुए
फिर साया मेरा देके दगा चल दिया किधर
हम आईने को तकते रहे जाने किस लिए
दिलदार ने भुला दिया पर हमने उसको यूँ
सजदे सुकून-ऐ-दिल के लिए कितने कर लिए
अल्फाज़ धोका दे गए जब आखिरश हमें
हमने भी उम्र भर के लिए होंठ सी लिए

Read Full Post »

सजा

“सजा”

आज ख़ुद को एक बेरहम सजा दी मैंने ,
एक तस्वीर थी तेरी वो जला दी मैंने
तेरे वो खत जो मुझे रुला जाते थे
भीगा के आंसुओं से उनमे भी,
” आग लगा दी मैंने …”

Read Full Post »

कैसे भूल जाए

 

जिन्दगी की ढलती शाम के ,
किसी चोराहे पर,
तुमसे मुलाकात हो भी जाए…
“वो दर्द-ऐ-गम”,
तेरे लिए जो सहे मैंने,
उनको दिल कैसे भूल जाए…

Read Full Post »

“फर्जे-इश्क “

बेजुबानी को मिले कुछ अल्फाज भी अगर होते
पूछते कटती है क्यूँ आँखों ही आँखों मे सारी रात ..,
सनम-बावफा का क्या है अब तकाजा मुझसे ,
अपना ही साया है देखो लिए पत्थर दोनों हाथ ….
पेशे-नजर रहा महबूब-ऐ-ख्याल गोश-ऐ-तन्हाई मे,
आईना क्यूँ कर है लड़े फ़िर मुझसे ले के तेरी बात…
दिले-बेताब को बख्श दे अब तो सुकून-ऐ-सुबह,
दर्दे-फिराक ने अदा किया है फर्जे-इश्क सारी रात…

(सनम-बावफा – सच्चा-प्रेमी )
(पेशे-नजर – आँखों के सामने)
(गोश-ऐ-तन्हाई -एकांत)
(दर्दे-फिराक -विरह का दर्द)
(फर्जे-इश्क – प्रेम का कर्तव्य)

Read Full Post »

“तेरी चाहत”



तेरी हर अदा पे मुझे बस प्यार आता है,
जब मेरे साथ तू होती है करार आता है …
तेरी आँखें है सनम, या के हैं जाम-ऐ-शराब,
तेरी नज़रों को मैं देखूं तो खुमार आता है…
तू मेरे सामने है, ख्वाब हो , बेदारी हो,
अपनी बांहों में लिए तुझ को चला जाता हूँ …
तुझ से मिलने पे जो आ जाए जुदाई का ख़याल,
दिल में तूफ़ान सा उठता ही चला जाता है…
तेरी चाहत की मेरे दिल में है हद कितनी,
कहाँ ग़ज़लों में या अल्फाज़ में कह पाता हूँ ..

Read Full Post »

“जूनून-ऐ-इश्क”


“जूनून-ऐ-इश्क
जूनून की बात निकली है तो मेरी बात भी सुन लो,
जूनून-ऐ-इश्क सच्चा है तो फिर हारा नहीं करता
मुक़द्दस है जगह वो क्यूंकि घर माशूक का है वो,
कोई मजनूँ कभी भी अपना दिल मारा नहीं करता
तजस्सुस यह के वोह बोलेगा सच या झूट बोलगा,
जूनून में रह के कोई काम यह सारा नही करता
वो मजनू है और उसके दिल में ही है बसी लैला,
हर एक हूरे नज़र पर अपना दिल वारा नहीं करता
 

 

Read Full Post »

Thursday, September 18, 2008

खुदगर्ज

 

उसकी खैरियत की ख़बर हो जाती मुझको,
एक बार अगर मेरे हालत का जयाजा लेता…
बडा ही “खुदगर्ज” रहा था वो हर तकाजे मे,
“मुझे गुमान हो उसकी सलामती का भी “
वो कैसे मगर इतना भी मेरा एहसान लेता?

Read Full Post »

“रश्क “

 

तबीयत की बेदिली के अंदाज पे,
अब रश्क क्या करें ???
छोटी सी बात पे तोड़ के उनसे रिश्ता ,
बहते रहें अब अश्क क्या करें ???
(रश्क- दुख, गिला)

Read Full Post »

“दावा बेगुनाही का”

 

 

दीवाना-ऐ-बेबाक को,
ख्याल कहाँ दिले-तबाही का
कूचा-ऐ-यार में शिरकत,
दीवाना-वार हर हरकत
और दावा बेगुनाही का


(दीवाना-ऐ-बेबाक- निडर प्रेमी )
(कूचा-ऐ-यार- प्रेमिका की गली)

Read Full Post »

9/16/2008

“इंतजार का लम्हा”

इंतजार का लम्हा

इंतजार का लम्हा यूँ भी,
क्या किसी ने देखा होगा
बेखुदी मे सीने की जगह,
“दिल”
जब आंख मे धड़का होगा… ?????

Read Full Post »

“निगाहे-नाज़”

 

“निगाहे-नाज़”

बेज़ारी जान की थी या,

किसी गम की गीरफ्तारी थी,

अंधेरी रात मे भी,

” रोशन रूखे- यार देखा”

शायद ये निगाहे-नाज़ की

 बीमारी थी

(बेज़ारी – उदासीनता )

(रूखे- यार – प्रेमिका का चेहरा)

(निगाहे-नाज़ – चंचल आँख)

Read Full Post »

फिर वही आतिशफिशानी कर रही उसकी अदा
फिर वही मदिरा पिला डाली है उसके जाम ने ……….

जब भी गुज़रा वो हसीं पैकर मेरे इतराफ़ से

दी सदा उसको हर एक दर ने हर एक बाम ने……

एक अजब खामोश सा एहसास था दिल में मेरे

उसका नज़ारा किया है पहले हर इक गाम ने…

Read Full Post »

 

मेरे एहसास में तू रहती है,

मेरे जज्बात में तू रहती है
आँखों मे सपना की जगह
मेरे ख़यालात में तू रहती है

लोग समझते हैं के वीराना है

पर मेरे साथ में तू रहती है

दम घुटता है जब रुसवाई मे ,

मेरी हर साँस मे तू रहती है
दुख का दर्पण , विरहन सा मन

मेरे हर हालात मे तू रहती है

Read Full Post »

 

“क्या हुआ जो ये रात,
“कुछ”
शिकवो शिकायतों के साथ गुजरी ,
क्या हुआ जो अगर ये रात,
आंसुओ के सैलाब से बह कर गुजरी ,
गौर -ऐ -तलब” है के ये रात,
आप के ख्यालात के साथ गुजरी

Read Full Post »

दर्द का वादा”


जिंदगी का ना जाने मुझसे और तकाजा क्या है ,
इसके दामन से मेरे दर्द का और वादा क्या है ????
एहसान तेरा है की दुःख दर्द का सैलाब दिया ,
मेरी आँखों को तुने आंसुओं से तार दिया..
एक बार भी न समझा मुझे भाता क्या है?????
छीन कर बैठ गयी मेरी मोहब्बत को कभी,
जब भी मिली एक नयी चाल मेरे साथ चली,
मेरी तकदीर से अब तेरा इरादा क्या है??????
जब भी मिलती है कहीं रूठ के चल देती है,
मेरे दिल को तू फिर एक बार मसल देती है
हैरान हूँ मुकदर को मेरे तराशा क्या है ?????
कौन सी खताओं की मुझे रोज सजा देती है,
मुश्किलें डाल के बस मौत का पता देती है …
तेरा अब मेरी वफाओं मे और इजाफा क्या है ?????जिंदगी का ना जाने मुझसे और तकाजा क्या है ,                 

इसके दामन से मेरे दर्द का और वादा क्या है????

Read Full Post »

“तुम्हें पा रहा हूँ”


तुम्हें खो रहा हूँ तुम्हें पा रहा हूँ,
लगातार ख़ुद को मैं समझा रहा हूँ….

ना जाने अचानक कहाँ मिल गयीं तुम,
मैं दिन रात तुमको हे दोहरा रहा हूँ……..

शमा बन के तुम सामने जल रही हो,
मैं परवाना हूँ और जला जा रहा हूँ ….
तुम्हारी जुदाई का ग़म पी रहा हूँ,
युगों से मैं यूँ ही चला जा रहा हूँ…

अभी तो भटकती ही राहों में उलझा,
नहीं जानता मैं कहाँ जा रहा हूँ….

नज़र में मेरे बस तुम्हारा है चेहरा,
नज़र से नज़र में समां जा रहा हूँ……

बेकली बढ़ गयी है सुकून खो गया है,
तुझे याद कर मैं तड़प जा रहा हूँ……….

कहाँ हो छुपी अब तो आ जाओ ना तुम,
मैं आवाज़ देता चला जा रह हूँ ……..

Read Full Post »

आज


जैसे कुछ दिल बदल गया हो आज,
यार ख़ुद से बहल गया हो आज,
तुम अगर सुन नही रहे हो बात,
मेरा दिल क्यूँ मचल गया हो आज ?
क्या पता खत लिख नही पाता,
या नई चाल चल गया हो आज,
क्यूँ ये मौसम भी खुशगवार नही,
हवा का रुख बदल गया हो आज !
एक नशा था उतर नही पाता,
तेरे रुख से संभल गया हो आज,
क्यूँ ये मुझ से ही हो नहीं पाता,
कोई दिल से निकल गया हो आज !

तुम को चाहा है तुम से प्यार किया,
प्यार सदियों का मिल गया हो आज,
मालिकुल्मौत आए गर दानी,
मौत का वक्त टल गया हो आज !

Read Full Post »

“बात बनाऊं कैसे “

 
 
 
 
 
 
 

 

तुम अगर रूठ गयी हो तो मनाऊं कैसे,
बात जो मुझ से नही बनती बनाऊं कैसे..
इन्हीं फिकरों मैं मेरी रात कटी जाती है,
दिले-ऐ-बरबाद की तन्हाई हटाऊँ कैसे..
वो जो मिलता है सदियों में एक बार मुझे,
उसका हर बार ही इक वार बचौऊँ कैसे…
अपना दिल उसकी मोहब्बत में मैं हार चुका,
नक्श अनमिट हैं अब इनको मिटाऊँ कैसे…
नहीं अब फिर से नहीं यह नही होने दूँगा,
और तडपुं और पूछूं उसे पाऊँ कैसे…
वो जो आया है तो अब उसको नहीं जाने दूँगा,
लोग पूछेंगे के मैं उस से मिला हूँ कैसे???????

Read Full Post »

वापस



बड़ी झूमती कविता मेरे आगोश में आयी है,
शायद तेरे साए से यह धूप चुरा लाई है ,
हम तेरे तसव्वुर में दिन रात ही रहते हैं,
कातिल है अदाएं तेरी कातिल ये अंगडाई है
सूरज जो उगा दिल का, दिन मुझमें उतर आया
तुम साथ ही थे लेकिन देखा मेरी परछाईं है,
साथ मेरे रहने है कोई चला आया ,
तन्हा कहाँ अब हम पास दिलकश तन्हाई है..
खामोशी से सहना है तूफ़ान जो चला आया,
दिल टूटा अगर टूटा , कहने मे रुसवाई है..
अब रात का अंधियारा छाने को उभर आया,
एहसास हुआ पुरवा तुमेह वापस ले आयी है

Read Full Post »

“उस पार मिलूंगा”

 

 

 

 

 

 “उस पार मिलूंगा”

पग प्रतीक प्रतिबिम्ब रहित हूँ,
उलका के उस पार मिलूंगा……..
मन स्वतंत्र चंचल चितवन हूँ ,
गगन द्वीप जा बैठूंगा….
या फिर उस पथ पर,
जिस पर तुम आओगे …..

प्रेम प्रतीक्षा के प्रसंग में यह पाओगे ,
आशा प्रकाश प्रज्ज्वलित नयन से,
राही भटका —चलता हूँगा
“सोच रहा हूँ………! “

 

Read Full Post »

“कैसे करूं”

 

 

 

 

 

 

 

 

“कैसे करूं”

शब्दों मे बयान कैसे करूं , दर्दे दिल का कैसे नीबाह करूं ,

जो अश्क का दरिया जम सा गया , आंखों से उसका कैसे बहा करूं ?????????

ना सुकून मिले , ना चैन कहीं , ना दिन हो मेरा ना रैन कहीं ,

अब दिल को क्या समझाऊं मैं , पल पल की बेचनी कहाँ रफा करूं ?????????

सब बिखर गया . सब उजड़ गया , कुछ भी तो मेरे पास नही ,

दिल जल कर ऐसा ख़ाक हुआ , अब क्या लाऊं और क्या तबाह करूं ????????????

तेरी बातों पे तेरे वादों पे बंद आँखों से मैंने क्यों इतना किया यकीन,

तुझे चाहने से भी ज्यादा बढा लगे , अब और ऐसा मैं क्या गुनाह करूं ?????????


 

Read Full Post »

मैं”

कलमों के टूटे ढेर थे मैं छेड़ता रहा,
लफ्जों के हेर फेर ने समझा नहीं मुझे….
कच्ची थी सोंधी ख़ाक में मैं बोलता रहा ,
चाकों के एतबार ने चूप्का किया मुझे…
लौहएमकान का का राज़ था क्यों फाश हो गया ,
कुत्बों के इन्तखाब ने रुसवा किया मुझे … ..
खारे -चमन था लेकिन चुप चाप जी गया ,
कलियों की बेकली ने तड़पा दिया मुझे ….

Read Full Post »

“दर्द की गहराई में”

“दर्द की गहराई में”

“तुम मेरे साथ चलो”

दर्द की गहराई में ,

वो जो है सामने दिखता

“कोई”

तन्हाई में ,तन बचाता हुआ ,

सिकुडा हुआ ‘डूब” जाता हुआ,

अफसोस में रुसवाई में……….

तुम्हें मालूम है “किसने” था,
किया काम उसका ,
किसको रोता है ,तड़पता ,
दिल -ऐ -नाकाम उसका ,
मुंह छुपाता हुआ , पछताता हुआ ,
क्योंकि अब नाम था बदनाम उसका….
प्यार” की हार में,
सब हार गया था जैसे ,
हाथ से छुट के पतवार गया था जैसे ,
“सिर झुकाये है “
हर हुक्म बजा लाने को ,
अपनी ख्वाहिश को………
सभी मार गया था जैसे “…………

Read Full Post »

“तुम ने

“तुम ने मुझे अपनाया है”
” और”
मेरी कायनात को ………….
मेरी खुशी को गम को,
“और”
मेरी हयात को…….
अब तो खुशी से,
जीना भी आसान हो गया ….
“तुम ने”

जो अपना हाथ दिया मेरे हाथ को “………

Read Full Post »

टीस

लम्हा लम्हा तेरे साये को सीने से लगाया मैंने,
दिल मे उठी टीस को आज फिर समझाया मैंने.

खाव्ब बन कर मेरी आँखों मे समाने वाले,
तेरे यादों की  टीस से महफिल को सजाया मैंने.  

आंशु ठहरे हैं मेरी पलकों पे शबनम की तरेह,
अश्कों मे बसी टीस को दिल भर के रुलाया मैंने.

कौन कहते है तेरे बगैर सिर्फ़ तनहा है हम,
अपने लहू की टीस से तेरे अक्स को  बनाया मैंने.

कोई रात  kutthee नही युगों मे बदल जाती है जब,
टीस से सजी तन्हाई को तेरे कंधे का पता बताया मैंने.

अंधेरों मे जब जब करते हैं ख़ुद से बातें  हम,
मोह्ह्ब्त की टीस को गीतों मे गुनगुनाया मैंने.

क्या शोला क्या चिंगारी ज्लायगी मेरे इस दिल को,
जिस्मोजान मे दबी टीस को तेरे स्पर्श का एहसास कराया
मैंने.

seema gupta

Read Full Post »

“जरूरी तो है”

जरूरी तो है”

मुजको मिले तेरा प्यार ये जरूरी तो है,
तेरे दिल पे हो मेरा इख्त्यार ये जरूरी तो है,


दर्द कितना भी सताये है, मुजे पर वो तेरा है,

तेरे गम मे हो मेरा दामन तार तार ये जरूरी तो है.


एक पल तेरे बगैर सोचु भी तो मैं कैसे,

हर घड़ी हो तेरा मेरा साथ ये जरूरी तो है


जिसकी झलक पाने को सदयीओं से ये ऑंखें थमी हैं,

मैं करू उसका जिन्दगी भर इंतजार, ये जरूरी तो है.


तू है मेरे सांसों मे मेरी हर नब्ज कहती है,

मैं करूं तुजे हर पल टूट के प्यार ये जरूरी तो है.

ये इंतजार भी तेरा, ये आंसू भी तेरा, ये गम भी तेरा…..

ये प्यार भी तेरा , ये ऐतबार भी तेरा ये………….
फिर क्यों न करूं किस्मत से तकरार , ये जरूरी तो है.

Read Full Post »

“ऐसे ही”

ऐसे ही हम क़रीब नही आ गए होंगे,
रब ने ही यूं तकदीर बनाई हुई होगी…
ऐसे ही हम बाँहों मे समाये नही होंगे,
किस्मत ने वजह ज़रूर कोई पाई हुई होगी…
ऐसे ही हम ने अपनी बीती को बताया नही होगा,
हमदर्द बन के तुम जब तलक नही आयी हुई होगी…
ऐसे ही दिल की गहराईओं में तुम समाई नही होती,
कोई तो तेरी बात दिल को मेरे लुभाई हुई होगी….
ऐसे ही मेरे पास चली आओ तुम एक दिन,
वरना ये ज़िंदगी मेरी ऐसी ही गंवाई हुई होगी………!
"seema Dani"

Read Full Post »

“कर गयी”



तेरी कही एक बात मेरे जिगर में उतर गयी,
एक काम था बचा हुआ वह काम कर गयी…
कब से भटक रहा था मैं सहरा में प्यार के,
शिद्दत की प्यास थी जो वो एक -दम उतर गयी…
तन्हा उदास राहों का मंजर कुछ अजीब था ,
आहट मगर तेरी मेरी जिन्दगी मे छाव कर गई…
कुछ टूट के तड़प के दिल बिखर रहा था जब ,
तुम थाम के आगोश मे बदहवास कर गई …

Read Full Post »

“बातें “

तुम से कहनी हज़ार हैं बातें,
लफ्ज़ कुछ, मगर बेशुमार हैं बातें…
तुम जिगर में उतरती जाती हो,
जो लिखी हमने अश्कबार हैं बातें…
अब दूर तुमसे रहा भी नहीं जाता,
फिर वो ही पहलू -ऐ -यार हैं बातें…
राज-ऐ-दिल लिए भटकते हैं तुम बिन,
क्या करें इस कदर बेकरार हैं बातें…

Read Full Post »

“यूँही बस



 
तुम मुझ से बोलती रहीं …चुप चाप यूँही बस,
दिल साथ साथ खोलती रहीं …चुप चाप यूँही बस
.
तड़पा दिया है प्यार ने हमदर्द के मुझे,
ज़ख्मों पे हाथ रख दिया … चुप चाप यूँही बस.
क्यों लग रहा है दिल को तुम हो आसपास ही कहीं,
आ जाओ मेरे सामने … चुप चाप यूँही बस.
कुछ तो ज़रूर है जो हमे यूं हो रहा है ये,
तुम ही ज़रा बतादो ना … चुप चाप यूँही बस.
तुमको भी क्या वो हो रहा जो हमको हो गया,
खामोश सा एक इंकलाब …चुप चाप यूँही बस.

अब तलक कहाँ थी तुम मिलीं क्यों नहीं मुझे,
मैं सोचता ही रह गया …चुप चाप यूँही बस………

Read Full Post »

“कर के “

“कर के”

 

तुमने तसल्ली पा ली थोडी देर बात कर के,
मेरी तिशनगी बढा दी, ये ज़रा सा साथ कर के ……..
कभी वह भी दिन आए, तेरे सामने मैं बैठूं,
यूँ ही साथ साथ चलते यूँ, सारी बात कर के ………
हुआ इस कदर नसीब वाला, तेरी अंजुमन में आ के,
मेरे दर्द-ऐ-दास्ताँ को, जगह दी उन्हें अपने हाथ कर के…

Read Full Post »

“अय्याम ने”

“अय्याम ने”
मैं यहाँ बेचैन हूँ तुम वहाँ बेताब हो,
किस जगह लाकर मिलाया है हमें अय्याम ने…
हों कई ऐसे भी जो रहते रहे हो इस तरह,
और रुबाई हो लिखी कोई उमर खय्याम ने…
रात भर जागा किए हैं तेरी यादों के तुफैल,
कितने ख्वाबों को बुना है इस दिले नाकाम ने…
तेरे आने की ख़बर हैं दिल में जागी है उमंग,
कितने दीपक ला जला डाले हैं मेरी शाम ने…
याद करने को नहीं आता है दिल दुःख के वह दिन,
और क्यों तमको नहीं लिखा है मेरे नाम ने….
फिर भि फरमाइश किया है उसको मेरी जान ने,
और किया बदनाम दानी को है उसके काम ने…
अब तड़पता दिल है दानी का बहुत उसके लिये,
कह रहा है तुमसे आ जाओ अचानक मेरे सामने…

Read Full Post »

“क्षनीकाएं”

 

“तेरा प्यार”

“एक दर्द ,

एक वेदना ,

एक कसक , तड़प ,

और बेशुमार आंसू ”

 

 

“तेरी याद”

” वो लम्हे ,

वो गुजरे पल ,

वो अधूरा स्पर्श,

और एक अंतहीन इंतजार ”

 


“तेरा साथ”

ये धुंधला साया ,

ये काली परछाई,

लम्बी तनहाई,

और एक अधूरी आस “

 

 


 

“तेरी वफा “

“वो झूठे वादे ,

वो टूटती कस्मे ,

वो बेवजह इल्जाम ,

और मेरा अँधा विश्वास ”


‘तेरा वजूद”

“मेरी बोजिल आहें,

मेरी तड़पती बाहें,

मेरी बिख्लती ऑंखें,

और मेरी डूबती सांसें”

 

Read Full Post »

“तन्हाई”

“तन्हाई”

“तन्हाई”

“तन्हाई”

काँटों की चुभन सी क्यों है तन्हाई
सीने की  दुखन  सी  क्यों   है  तन्हाई,

ये  नजरें  जहाँ  तक  मुझको  ले  जांयें ,
हर  तरफ  बसी  क्यों  है  सूनी  सी   तन्हाई

इस  दिल  की  अगन  पहले  क्या  कम  थी ,
मेरे  साथ  सुलगने  लगती  क्यों  है  तन्हाई

आंसू  जो  छुपाने  लगता  हूँ  सबसे ,
बेबाक  हो  रो देती  क्यों   है  तन्हाई

तुझे  दिल  से  भुलाना  चाहता  हूँ ,
यादों के भंवर मे उलझा देती क्यों है तन्हाई 

एक  पल  चैन  से  सोंना  चाहता  हूँ ,
मेरी  आँखों मे जगने लगती क्यों है तन्हाई 

तन्हाई से दूर नही अब रह सकता,

मेरी सांसों  मे,  इन  आहों मे,
मेरी रातों मे,  हर बातों मे,
मेरी आखों मे, इन ख्वाबों मे,
कुछ अपनों मे, कुछ सपनो मे ,
मुझे अपनी सी लगती क्यों है तन्हाई ????

Read Full Post »

“क्यों है”

“क्यों है”

तेरे बगेर तनहा जिन्दगी मे मेरी कुछ कमी सी क्यों है ,

तेरी हर बात मेरे जज्बात से आज फ़िर उलझी सी क्यों है…

तु मुझे याद ना आए ऐसा एक पल भी नही संवारा मैंने,

गुजरते इन पलों मे मगर आज फ़िर बेकली सी क्यों है……

बेबसी के लम्हों मे आंसुओं का वो मंजर गुजारा मैंने ,

उठती गिरती पलकों मे मगर आज फ़िर कुछ नमी सी क्यों है………

मोहब्बत मे तेरा नाम लेकर तेरी बेरुखी को भी रुतबा दिया मैंने,

हर एक आहट पे तेरे आने की उम्मीद आज फ़िर बंधी सी क्यों है……….

गिला तुझसे नही बेवफा सिर्फ़ अपनी मज्बुरीयों से किया मैंने,

वक्त से करके तकरार इन सांसों की रफ्तार्र आज फ़िर थमी सी क्यों है……

 

Read Full Post »

“अब और”

“अब और”

आँखों की गहराई मे आंसू कहीं दफ़न हो जाया करें ,

हर पल बरस कर सर-ऐ-महफिल तमाशा अब और बनाया ना करें .

अधूरी कहानी , प्यार का अफसाना कुछ भी मेरी ख्वावीश ना बने,

मोहब्बत की बातें मेरी तन्हाईयों को तन्हा अब और कर जाया ना करें.


कौन सी कयामत से गुजरा नही अब तलक ये नादाँ दिल मेरा ,

गम के बदल का रुख मेरी चौखट पे अब और आया ना करें .

कोई मुलाकात, जज्बात, एहसास, अब खंजर बन के दिल मे न चुभें,

वो लम्हा यादों के भवर मे मुझे अब और उलझाया न करें.

किसी माहोल, मंजर, महफिल से अब कोई रुसवाई न मिले मुझको , 

फिर समझाने जिन्दगी रूप बदल बदल के अब और आया न करें

Read Full Post »

   

“लिखें हम “


“लिखें हम “
तेरा अफ़साना लिखें हम , तेरा तराना लिखें हम ,
तेरा आना जाना देख , तेरा इतराना लिखें हम .
तेरी पलकों का झुक जाना , कुछ सोच के घबरा जाना ,
तेरा खिल्खीलाना देखें तो, तेरा शर्माना लिखें हम .
तेरी आँखों की मदहोशी , तेरे लबों के खामोशी ,
तेरी बातें जो सुन लें तो , तेरा चह्चाना लिखें हम .
तेरे चेहरे की ये मस्ती , जैसे फूलों की ताजगी ,
तेरी इस बेखुदी मे फ़िर तेरा लहराना लिखें हम .

कभी यूं रूठ के जाना , कभी आँखों मे ही मुस्काना ,
तेरी इस अदा से फ़िर , दिल का बहलाना लिखें हम .
सांसों को महकती तेरी सुबह , दिल को धड़कती तेरी शामें ,
तेरे प्यार मे डूबे दिन रात का एक फसाना लिखें हम .
आज ये दिल चाहे फ़िर तेरा नजराना लिखें हम ,
जो कभी खत्म ना हो तेरा वो खजाना लिखें हम ….

 

 

 

Read Full Post »

“नहीं”

“नहीं”
देखा तुम्हें , चाहा तुम्हें ,
सोचा तुम्हें , पूजा तुम्हें,
किस्मत मे मेरी इस खुदा ने ,
क्यों तुम्हें कहीं भी लिखा नहीं .
रखा है दिल के हर तार मे ,
तेरे सिवा कुछ भी नही ,
किस्से जाकर मैं फरियाद करूं,
हमदर्द कोई मुझे दिखता नही.
बनके अश्क मेरी आँखों मे,
तुम बस गए हो उमर भर के लिए ,
कैसे तुम्हें दर्द दिखलाऊं मैं ,
अंदाजे बयान मैंने सीखा नही.

नजरें टिकी हैं हर राह पर ,
तेरा निशान काश मिल जाए कोई,
कैसे मगर यहाँ से गुजरोगे तुम,
मैं तुमाहरी मंजील ही नही,
आती जाती कोई कोई अब साँस है ,
एक बार दिल भर के काश देखूं तुझे,
मगर तू मेरा मुक्कदर नही ,
क्यों दिले नादाँ ये राज समझा नही …………..

 

 

 

 

Read Full Post »

“काश”

“काश”

हर वक्त तुम्हारे होटों पर होती ,

काश मैं वो ग़ज़ल होती ,

जिन फूलों की तुम तारीफ करते ,

काश उन फूलों का तब्बसुम होती.

जिन नज़ारों को तुम आँखों मे बसाते,

काश उन नजारों का नूर होती .

जिसे तुम हर पल पाना चाहते ,

काश मैं ही वो हुर होती .

जिससे तुम्हारे दिल की प्यास बुझती ,

काश मैं वो पैमाना होती ,

जो हर पल तुम्हारी सांसों को मेह्काती ,

काश मैं वो खुशबु होती .

जिसे गवाने का डर तुम्हे हमेशा रहता ,

काश मैं वो तुम्हारी जान होती ,

तुम्हारे सीने मे अगर कुछ धड़कता है ,

काश मैं ही वो तुम्हारा दिल होती .

Read Full Post »

“ऐसा ना हो जाए ”

“ऐसा ना हो जाए ”

कहीं ऐसा ना हो जाए ,

की फ़िर तेरी याद आ जाए ,

पुकारूँ नाम मैं तेरा ,

और तू यूं ही बदनाम हो जाए .

कही ऐसा न हो जाए ,

की फ़िर ये दिल तड़प जाए,

मैं दुंदु हर तरफ तुझको ,

तू कहीं नज़र ही नही आए .

कहीं ऐसा ना हो जाए ,

की तू हर शै मे नज़र आए ,

कहे दुनिया मुझे पागल,

प्यार मे मेरा ये अंजाम हो जाए .

कहीं ऐसा ना हो जाए ,

की फ़िर तेरी प्यास जग जाए ,

मैं जी भी ना सकूं तुझ बिन,

ये जिन्दगी यूं ही तमाम हो जाए .

Read Full Post »

“यादें”

“यादें”

बहुत रुला जाती हैं , दिल को जला जातीं हैं ,

नीदों मे जगा जाती हैं , कितना तड़पा जातीं हैं ,

“यादें” जब भी आती है ”

भीगे भीगे अल्फाजों को , लबों पर लाकर ,

दिल के जज्बातों को , फ़िर से दोहरा जाती हैं ,

“यादें जब भी आती हैं ”

खाली अन्ध्यारे मन के , हर एक कोने मे ,

बीते लम्हों के टूटे मोती , बिखरा जाती हैं ,


“यादें जब भी आती है ”

हम पे जो गुजरी थी , उन सारी तकलीफों के ,

दिल मे दबे हुए , शोलों को भड़का जाती हैं ,


“यादें जब भी आती हैं ”

कितना सता जाती हैं , दीवाना बना जाती हैं ,

हर जख्म दुखा जाती हैं , फ़िर तन्हा कर जाती हैं ,


“यादें जब भी आती हैं ”

Read Full Post »

चले आओ

 

चले आओ”

Read Full Post »

“खत”

“खत”

आज लहू का कतरा कतरा स्याई बना है,

और ये जख्मी दिल ही खत की लिखाई बना है.

दर्द बडा बेदर्द है, वो ही गवाही बना है,

तार- तार हर दिल कौना तबाही बना है.

देख मेरे चाहत का किस्सा जग हंसाई बना है,

मेरे बर्बादी का सारा ही जहाँ तमाशाई बना है.

नाम वफा था जिसका वो ही बेवफाई बना है,

जख्मों से रिसता लहू मेरी सच्चाई बना है.

कोई साथ नही हर मंजर तन्हाई बना है ,

आंसू का हर मोती मेरा हमराही बना है.

खुने दिल से लिखा ये “खत”,मेरे रुसवाई बना है,

घडी कयामत की है जिसमे जनाजा हे मेरी शहनाई बना है!

Read Full Post »

Older Posts »