“क्या हुआ जो ये रात,
“कुछ”
शिकवो शिकायतों के साथ गुजरी ,
क्या हुआ जो अगर ये रात,
आंसुओ के सैलाब से बह कर गुजरी ,
“गौर -ऐ -तलब” है के ये रात,
क्या हुआ जो अगर ये रात,
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