वापस
बड़ी झूमती कविता मेरे आगोश में आयी है,
शायद तेरे साए से यह धूप चुरा लाई है ,
हम तेरे तसव्वुर में दिन रात ही रहते हैं,
कातिल है अदाएं तेरी कातिल ये अंगडाई है
सूरज जो उगा दिल का, दिन मुझमें उतर आया
तुम साथ ही थे लेकिन देखा मेरी परछाईं है,
तुम साथ ही थे लेकिन देखा मेरी परछाईं है,
साथ मेरे रहने है कोई चला आया ,
तन्हा कहाँ अब हम पास दिलकश तन्हाई है..
खामोशी से सहना है तूफ़ान जो चला आया,
दिल टूटा अगर टूटा , कहने मे रुसवाई है..
अब रात का अंधियारा छाने को उभर आया,
एहसास हुआ पुरवा तुमेह वापस ले आयी है
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