“कर गयी”
तेरी कही एक बात मेरे जिगर में उतर गयी,
एक काम था बचा हुआ वह काम कर गयी…
कब से भटक रहा था मैं सहरा में प्यार के,
कब से भटक रहा था मैं सहरा में प्यार के,
शिद्दत की प्यास थी जो वो एक -दम उतर गयी…
तन्हा उदास राहों का मंजर कुछ अजीब था ,
आहट मगर तेरी मेरी जिन्दगी मे छाव कर गई…
कुछ टूट के तड़प के दिल बिखर रहा था जब ,
तुम थाम के आगोश मे बदहवास कर गई …
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